विधानसभा में अभय चौटाला की कमी होगी महसूस
खास बात यह है कि 2014 से 2019 तक नेता प्रतिपक्ष रहते हुए एवं 2019 से 2024 तक विपक्षी विधायक रहने के दौरान भी अभय चौटाला ने विधानसभा सत्र में जोरदार तरीके से अपनी आवाज उठाई।
उन्होंने किसान आंदोलन, शराब घोटाला, रजिस्ट्री घोटाले एवं दवा घोटाले के मसले पर सरकार पर विधानसभा में तीखे आरोप लगाए और अनेक बार उनकी विधानसभा के कई सदस्यों के अलावा तत्कालीन स्पीकर ज्ञान चंद गुप्ता से नोंक-झोंक भी हुई। उल्लेखनीय है कि अभय सिंह चौटाला सबसे पहले अपने पैतृक गांव चौटाला में पंचायत सदस्य बने।
1991 के पंचायती चुनाव में वे ब्लॉक समिति के सदस्य भी चुने गए। इसके अलावा वे जिला परिषद सिरसा के चेयरमैन भी रह चुके हैं। अभय साल 2000 में रोड़ी उपचुनाव में जीत हासिल कर पहली बार विधायक बने। रोड़ी सीट से अभय सिंह ने 93 प्रतिशत वोट दर्ज किए और अन्य सभी उम्मीदवारों की जमानत जब्त करवा दी।
इसके बाद कांग्रेस सरकार के गठन के करीब तीन माह बाद ही जनवरी 2010 में ऐलनाबाद में उपचुनाव हुआ। इस उपचुनाव में 64,813 वोट हासिल करते हुए अभय सिंह ने कांग्रेस के भरत सिंह बैनीवाल को 6227 वोटों से पराजित कर जीत हासिल कर ली। इसके बाद अभय सिंह चौटाला ने 2014 के विधानसभा चुनाव में ऐलनाबाद सीट से 69 हजार 162 वोट हासिल करते हुए भाजपा उम्मीदवार पवन बैनीवाल को करीब 11 हजार 539 वोट से पराजित किया। 2019 में वे फिर से ऐलनाबाद से विधायक चुने गए।
2021 में अभय सिंह ने किसान आंदोलन के चलते विधायक पद से इस्तीफा दे दिया था और फिर उपचुनाव जीतकर विधानसभा के सदस्य बने। इस बार वे कांग्रेस के भरत ङ्क्षसह बैनीवाल से करीब 15 हजार वोटों से चुनाव हार गए।